पीयूष वालिया
7000-8000 हज़ार रुपये में अपनी जान हथेली पर लेकर बिना जीवन बीमा बिना स्वास्थ्य सुरक्षा के कोरोना जैसे अप्रत्यक्ष दुश्मन से विगत एक वर्ष (पिछले वर्ष 2020 )से पूरे होंसले के साथ सामना कर रहे है। जिसमे कुछ सफाई सैनिक शहीद भी हो चुके है
अगर इतनी खतरनाक महामारी कोविड_19 का मुकाबला करते हुए शहीद हो गए तो इनका परिवार भुखमरी से मर जायेगा। क्योकि इनमें से 75 प्रतिशत ठेके पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी है।
इनके हको और अधिकारो के बारे में सोचिए मा0 मुख्यमंत्री जी।
हम आप जी से उत्तराखंड को सफाई कार्य से ठेकामुक्त करने के लिए मांग करते है
स्थायी सफाई कर्मचारियों के लिए तो सभी पदोन्नति के रास्ते बंद कर रखे है,माननीय। फिर सम्मान कैसा।
उत्तराखंड के निकायों में एक परिचारक अधिशाषी अधिकारी बन सकता है, पर एक सफाई कर्मचारी या तो ठेकेदारी प्रथा में बंधुआ मजदूर बना हुआ है और जो स्थायी सफाई कर्मचारी है वह सफाई कर्मचारी की पोस्ट पर ही मर जायेगा।
मेरा आपसे विन्रम आग्रह है कि सफाई सैनिकों को सेफ्टी हेतु सभी उपकरण मुहैया कराया जाए जिससे वो भी अपने बच्चों में सही सलामत जा सके
स्वच्छ भारत मिशन के नायक हम।
हमे चाहिए सम्मान और अधिकार।।
पिछले वर्ष भी मालाएं डालकर और फूलों की बारिश कर बस रूखा सम्मान ही दिया है।
यदि सम्मान ही देना है तो एक गाइडलाइन इन्हें पक्का करने की भी जारी कर दीजिए सरकार।
मुख्यमंत्री जी ध्यान दीजिए। हम आपके जीवनभर आभारी रहेंगे।