परिश्रम की कोई सीमा नहीं वरिष्ठ महामंडलेश्वर सोमेश्वरानंद जी महाराज

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अर्चना धींगरा/ पीयूष वालिया

 

 

परिश्रम की कोई सीमा नहीं होती, हम यह कभी नहीं जान सकते कि कितने समय या अथक अभ्यास के बाद हमें जीत मिलेगी, और उसके लिए कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा। सफलता पाने के लिए आपको नियमित तौर पर प्रयत्न करते रहना होगा और एक दिन ऐसा आएगा जब सफलता स्वयं आकर आपका द्वार खटखटायेगी। 

यह सत्य है कि सफलता के मार्ग पर आपको नाकामयाबियों का सामना करना पड़ सकता है और कभी ऐसा भी पल आ सकता है जब आपको परिश्रम करके भी कुछ हासिल न हो। पर आपको तब भी इन अस्थाई असफलताओं से निराश होकर श्रम करना नहीं छोड़ना चाहिए।

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