साधना से होता है साधक का जीवन निर्मल ः डॉ. पण्ड्या
पीयूष वालिया
इन दिनों गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में हजारों लोग त्रिकाल संध्या में सामूहिक जप एवं सत्संग में जुटे हैं। नवरात्र साधना के चौथे दिन प्रातःकालीन सत्संग सभा में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने गायत्री साधकों को श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योगसाधना पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गायत्री साधना से साधक में एक विशेष प्रकार का आभामंडल बनता है, जो उसके जीवन को निर्मल और पवित्र बनाता है। साधना साधक को प्रभु प्रेम के निकट पहुंचाता है। साधना काल में सत्संग व श्रेष्ठ साहित्यों के अध्ययन से साधक के मन के बुरे विचार दूर होते हैं। सत्संग से पवित्र विचार आते हैं, जो वाणी में सत्यता का संचार करते हैं। चहुंओर मान-सम्मान बढ़ता है। जीवन के अनेक जिज्ञासाओं के समाधान भी हमें सत्संग के माध्यम से मिल जाते हैं। स्वाध्याय से ईश्वर भक्ति की प्राप्ति भी होती है। युवा उत्प्रेरक श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि जिस तरह प्रभु श्रीराम के सान्निध्य पाकर अनेक जीवों का जीवन सफल हो गया था। उसी तरह वर्तमान समय में विचारों से श्रेष्ठ संतों के सानिध्य व उनके उपदेश जीवन को ऊँचा उठाने में सहायक हैं।
प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने कहा कि साधना काल में ब्रह्मचर्य यानि ब्रह्म में विचरण करना चाहिए। इससे शारीरिक व मानसिक दृढ़ता बढ़ती है। आत्मोन्नति का द्वार खुलता है। शांतिकुंज मीडिया विभाग के अनुसार सत्संग के इस प्रवाह से देश-विदेश के लाखों परिजन भी वर्चुअली जुड़ते हैं। यह प्रवाह रामनवमी तक अनवरत चलेगा।
इससे पूर्व शांतिकुंज के युगगायकों द्वारा प्रस्तुत नवधा भक्ति के सुमधुर गान ने उपस्थित हजारों साधकों को भक्तिभाव के रंग में रंग दिया। इस अवसर पर शांतिकुंज के अनेक कार्यकर्तागण सहित देश विदेश से आये हजारों साधक मौजूद रहे।