जागरूकता की शुरुआत स्वयं से ः डॉ चिन्मय पण्ड्या देसंविवि के विद्यार्थियों ने चलाया जागरूकता एवं स्वच्छता कार्यक्रम

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पीयूष वालिया

जागरूकता की शुरुआत स्वयं से ः डॉ चिन्मय पण्ड्या
देसंविवि के विद्यार्थियों ने चलाया जागरूकता एवं स्वच्छता कार्यक्रम

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना विभाग द्वारा शहीदी दिवस समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के निर्देशन में हुआ। चार दिवसीय विशेष कार्यक्रम में स्वच्छता, मतदान जागरूकता, निबंध, पोस्टर, स्लोगन, स्वरचित कविता, दीवार लेखन, रैली आदि का आयोजन किया गया। जिसमें देसंविवि के स्वयंसेवियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
समापन अवसर पर देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि जागरूकता की शुरूआत स्वयं से होती है, सबसे पहले अपने अंदर के दीपक को जगाने की आवश्यकता है। प्रतिकुलपति ने एनएसएस के विद्यार्थियों की मेहनत व लगन की सराहना की।
राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. उमाकांत इंदौलिया ने बताया कि १९ अप्रैल से प्रारंभ हुए इस कैम्प के माध्यम से घर-घर जाकर स्वयंसेवियों के द्वारा लोगों को मतदान व स्वच्छता के लिए जागरूक किया गया। स्वच्छता एवं मतदान से संबंधित थीम पर निबंध, पोस्टर, स्लोगन, स्वरचित कविता जैसे विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। साथ ही हरिपुर कलां क्षेत्र व विश्वविद्यालय परिसर में वृहद् स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया गया व स्वच्छता से संबंधित दीवार लेखन एवं रैली का आयोजन किया गया।
एनएसएस स्वयंसेवकों ने निकटवर्ती क्षेत्रों में स्वच्छता के प्रति जागरूक किया, तो वहीं दीवार लेखन के माध्यम से आम जन में स्वच्छता और रुढ़िवादी के प्रति चलाये जा रहे अभियान में अपनी सहज भागीदारी प्रस्तुत किया। इसके साथ ही विभिन्न सकरात्मक गतिविधियों को आमजन तक पहुचाया हैं, जो समाज सम्मुनत एवं विकसित बनाने, समाज एवं राष्ट्र के समृद्धि में सहायक है।
समापन अवसर पर 100 स्वयंसेवियों को प्रमाण पत्र वितरित किये गए एवं प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट चयनित विजेताओं को प्रमाण पत्र, मेडल, प्रतीक चिन्ह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर विभिन्न गणमान्य अतिथियों को मंत्र चादर, स्मृति चिह्न भेंट किया गया। इस कैम्प में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. इप्सित प्रताप सिंह, श्री प्रखर सिंह पाल, श्रीमती लालिमा, गायत्री शर्मा, ऋचा मिश्रा आदि का विशेष योगदान रहा।

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