शांतिकुंज में दो दिवसीय ज्योति कलश यात्रा कार्यशाला का शुभारंभ

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पीयूष वालिया

शांतिकुंज में दो दिवसीय ज्योति कलश यात्रा कार्यशाला का शुभारंभ
ओडिशा व छ.ग. के एक हजार से अधिक चयनित सक्रिय कार्यकर्त्ता शामिल

हरिद्वार 21 सितम्बर।
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में दो दिवसीय ज्योति कलश यात्रा कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में ओडिशा व छत्तीसगढ़ के एक हजार से अधिक चयनित सक्रिय कार्यकर्त्तागण शामिल हैं। कार्यशाला में गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा एवं सिद्ध अखण्ड ज्योति की शताब्दी वर्ष (२०२६) के अंतर्गत चलाये जाने वाले कार्यक्रमों को गति प्रदान करने के विविध अभियानों की जानकारी दी जायेगी।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी ने कहा कि गायत्री परिवार के संस्थापक पूज्य पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यश्री ने हम सबको एक मशाल के नीचे खड़ा किया है, हम सभी जाग्रत आत्माएँ है। ज्योति कलश रथ यात्रा में आप सभी को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। युगऋषि पूज्य आचार्यश्री के विचारों को जन जन तक पहुंचाना है। व्यवस्थापक श्री गिरी ने ज्योति से ज्योति जलाएंगे, देश को जगायेंगे और दुनिया को जगमगाएगें को सदैव याद रखने की अपील की। व्यवस्थापक श्री गिरी ने अखण्ड ज्योति की महत्ता एवं उसके भावनात्मक स्वरूप के साथ ही पूज्य आचार्यश्री के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व से लोगों को अवगत कराया। कार्यशाला के प्रथम दिन डॉ. ओ पी शर्मा ने ज्योति कलश यात्रा का स्वरूप और व्यवस्थाओं पर विस्तृत जानकारी दी। श्री श्याम बिहारी दुबे ने कहा कि गायत्री परिवार की संस्थापिका एवं नारी जागरण अभियान की प्रणेता माता भगवती देवी शर्मा एवं अखण्ड ज्योति के शताब्दी वर्ष (२०२६) के अंतर्गत पूरे देश में देवभूमि स्थित गायत्री तीर्थ शांतिकुंज से सनातन संस्कृति व सद्ज्ञान की धारा बहाई जायेगी।
शिविर समन्यक ने बताया कि इस कार्यशाला का समापन अवसर पर युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या का विशेष उद्बोधन होगा।
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छग की केबीनेट मंत्री श्रीमती राजवाड़े शांतिकुज पहुँची
हरिद्वार 21 सितम्बर।
छत्तीसगढ़ की कैबिनेट मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े जी अपने परिवार सहित हरिद्वार स्थित गायत्री तीर्थ शांतिकुंज पहुंची। यहाँ उन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी से भेंंट कर आशीर्वाद व मार्गदर्शन लिया।
केबीनेट मंत्री श्रीमती राजवाड़े देव संस्कृति विश्वविद्यालय पहुंची, जहाँ देसंविवि के प्रतिकुलपति व युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने उनका स्नेहपूर्ण स्वागत किया। प्रतिकुलपति से भेंट के दौरान श्रीमती राजवाड़े जी ने विश्वविद्यालय की शिक्षा और सांस्कृतिक धरोहर की प्रशंसा की और समाज कल्याण और सतत विकास में इसकी भूमिका को महत्त्वपूर्ण बताया। प्रतिकुलपति जी के साथ हुई इस चर्चा में शिक्षा, नेतृत्व और समाजसेवा के नए आयामों पर विचार-विमर्श हुआ।
श्रीमती राजवाड़े ने जीवन विद्या के आलोक केंद्र, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकल्पों का भी अध्ययन किया। प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर में अभिषेक कर राज्य की विकास की प्रार्थना की।

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