पीयूष वालिया
देसंविवि और आईआईएचएमएफ प्रयागराज के बीच हुआ अनुबंध
हरिद्वार 3 अक्टूबर।
जीवन विद्या के आलोक केन्द्र देवसंस्कृति विश्वविद्यालय अपने 22 वर्ष की आयु में अनेक कीर्तिमान स्थापित किया है। देश विदेश के शैक्षणिक, स्वास्थ्य सहित विभिन्न संस्थानों के साथ महत्त्वपूर्ण अनुबंध पर हस्ताक्षर किया है और यह क्रम सतत जारी है। अपने अनुबंध के इसी क्रम में प्रयागराज स्थित मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के इनोवेशन और इन्क्यूबेशन हब एमएनएनआईटी फाउंडेशन के निदेशक प्रो. रवि प्रकाश तिवारी एवं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने एक महत्त्वपूर्ण शैक्षणिक समझौता पर हस्ताक्षर किये।
इसके अंतर्गत विश्वविद्यालय के संस्कृति ः सेंटर फॉर इन्क्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरियल ट्रेनिंग (एससीआईईटी) के माध्यम से संचालित किया जाएगा। यह समझौता शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देगा और दोनों संस्थानों के बीच शोध, नवाचार और छात्र विनिमय कार्यक्रमों को सशक्त करेगा। जो युवाओं को आगे बढ़ने में मददगार साबित होगा।
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नवरात्र साधना करने शांतिकुंज पहुँचे हजारों साधक
हरिद्वार 3 अक्टूबर।
विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक संस्थान गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में उपासना के महापर्व हेतु देश-विदेश से हजारों साधक पहुँचे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल कई योग एक साथ बने हैं। नौ दिन तक चलने वाले इस साधना पर्व में साधक २४ हजार गायत्री मंत्र की उपासना के साथ व्यक्तित्व परिष्कार के विभिन्न आध्यात्मिक आयामों को अपने जीवन में उतारेंगे। शांतिकुंज में नवरात्र के प्रथम दिन की शुरुआत ध्यान साधना से हुई।
शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता ने साधकों को नवरात्र अनुष्ठान के संकल्प के साथ साधना की पृष्ठभूमि से अवगत कराया। प्रथम दिन साधकों ने अपनी दिनचर्या की शुरुआत ध्यान-साधना के साथ हवन से किया। पश्चात् उन्होंने अपनी साधना प्रारंभ की।
शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी ने बताया कि शांतिकुंज में नवरात्र अनुष्ठान में साधकों की दिनचर्या में त्रिकाल संध्या का विशेष क्रम जोड़ा गया है। इसके अंतर्गत प्रातः, दोपहर व सायं को एक-एक घंटा समय निर्धारित किया गया है। जिसमें प्रायः सभी साधक सामूहिक रूप से साधना करते हैं। इसके साथ ही विश्व प्रसिद्ध नवचेतना के उद्घोषक व अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या गीता का उपदेश-सार और गीता की महिमा पर साधकों को नौ दिन तक संबोधित करेंगे।