भारतीय चौकीदार हरमीत इंदौरिया ने,महामहिम राष्ट्रपति से मांगी इच्छा मृत्यु

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पीयूष वालिया

 

 

 

हरमीत इंदौरिया ने बताया के 31 मई की रात को उनपर जान लेवा हमला करने वाले सभी हमलावर मुकदमा दर्ज होने के बाद भी खुले घूम रहे है और उन्हें लगातार उनसे जान का खतरा बना हुआ हैं ,पुलिस उन हमलावरों को गिरफ्तार करने के बजाए हरमीत और उनके सहयोगियों पर जो उनके साथ डी जी पी को हमलावरों की शिकायत करने गए थे उन सभी पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर के उन्हें परेशान कर रही हैं । हरमीत के अनुसार हमलावर वन्दना गुप्ता ,आशु शर्मा और संचित ग्रोवर समेत अन्य लोगो पर डी जी पी उत्तराखंड के दखल के बाद 24 दिनी जांच सी ओ सदर आई पी एस विशाखा अशोक भरणे द्वारा किये जाने के बाद थाना कनखल में लूट और एस टी एस सी सहित अन्य गम्भीर धाराओ में मुकदमा दर्ज हुआ था ,लेकिन पुलिस ने उसके बाद भी हमलावरों को गिरफ्तार नही किया ।बल्कि पुलिस हमलावरों को कोर्ट से रियायत दिलाने के लिए कुछ गम्भीर धाराओ को भी हटा सकती हैं,उक्त तीन हमलावर गिरफ्तारी से बचने के लिए माननीय उच्च न्यायालय की शरण में चले गए जहाँ से उन्हें गिरफ्तारी पर रोक तो नही मिल पाई मगर जिला अदालत में आत्मसमर्पण करने के लिए 13 अगस्त तक का समय मिल गया था ,अब जब कि 13 अगस्त बीते भी 13 दिन हो चुके है पुलिस अभी भी हमलावरों को गिरफ्तार करने के बजाए वादी हरमीत और उनके सहयोगियों पर ही मुकदमा कायम करके उन्हें अन्य मामलों में आरोपी बनाने पर तुली हैं ,और खास बात तो यह हैं के हरमीत और उनके जानकारों पर जो मुकदमा दर्ज हुआ है उसमें वादी और कोई नही बल्कि खुद वन्दना गुप्ता हैं जो कि पुलिस से बचने के लिए अभी फरार हैं , हरमीत इंदौरिया के अनुसार वन्दना गुप्ता ने उनपे जानलेवा हमले से पहले सिंहद्वार स्थित नहर पटरी पर किये जा रहे सौंदर्यीकरण को अवैध कब्जे का इल्ज़ाम लगाकर कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत को भी शिकायत की थी जिसका संज्ञान लेते हुए दीपक रावत खुद मौके पर पहुंचे थे और बिना हरमीत की कोई बात सुने एक तरफ कार्यवाही करने की बात किये जा रहे थे ,जबकि हरमीत ने उन्हें यह भी बोला था के वह पहले मामले की जाँच तो करवालें यदि हरमीत पर दोष सिद्ध होता है तो वह हर सजा के लिए तैयार हैं, लिकेन आई ए एस दीपक रावत ने उनकी एक न सुनी और जैसा जैसा आरोप वन्दना लगाती रही वैसे वैसी ही दीपक रावत भी बोलते रहे।हरमीत ने यह भी बताया के कुछ फर्जी पत्रकारों द्वारा रिटायर अध्यापक योगेंद्र सिंह राठौर के साथ भी अप्रैल माह में मारपीट की गई थी और थाना कनखल ने 4 दिन बाद मामले की एन सी आर दर्ज की जबकि उन्ही पत्रकारों में से एक पत्रकार ने योगेंद्र राठौर के खिलाफ भी शिकायत की तो उसका मुकदमा पंजिकृत कर दिया गया । हरमीत ने बताया के रिटायर अध्यापक योगेंद्र सिंह पाल के घर पर विकास प्राधिकरण हरिद्वार से एक कार्यकर्ता आये थे जो यह धमकी दे कर गए है के अगर इस मामले को यही नही दबाया गया तो तुम्हारे घर की फाइल खोल कर उसमें कमियां निकाल कर घर पर जे सी बी चलवा दी जाएगी । अब हमारे पास इच्छा मृत्यु ही एक मात्र उपाय बचा हैं ,क्योंकि  मेरे एक सहयोगी मयंक भारद्वाज के साथ भी पोलिस द्वारा बदले की भावना से काम किया जा रहा है ,मयंक के खिलाफ 2019 की एक दबी हुई शिकायत की फाइल को 2021 की दिखा कर दोबारा खोल दिया गया है और मयंक को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा हैं ।

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