पीयूष वालिया
साधु। का जीवन ऐसा हो कि लोग उन्हें देखकर प्रेरित हो वो समाज को सही दिशा दिखाए और ना ही किसी धर्म को नीचा दिखाए साधु संत लोगो को सही शिक्षा देने के लिए है वो भी बिना किसी मांग के हा समाज को उनके रहने खाने की व्यवस्था करनी चाहिए बस और साधु को लोगो के घर घर जाकर जीवन का उद्देश्य बताना उन्हें जीवन जीने की कला बताना है ना कि उन्हें अपने पास बुलाकर उनसे चंदा इकट्ठा करना है और साधु का मतलब यह नहीं कि जो सब कुछ छोड़ दे वो साधु है साधु का मतलब है समाज में रहते हुए चाहे वो गृहस्थ हो लोगो की समस्या को समझना साधु मतलब किसी से कोई इच्छा नहीं रखना आजकल के बड़े-बड़े साधुओं को पूरी लग्जरी लाइफ चाहिए यह सनातन धर्म का सबसे बड़ा अपमान है जो हमारे हिंदू समाज में जा रहा हैसमाज संत में यह देखता है कि उसमें श्रेष्ठता है या नहीं, संयम है या नहीं। संत में दूसरों की भलाई करने की भावना है या नहीं। लोग संत में सभी गुण खोजते हैं। संतों को परखा जाता है। लोग यह नहीं देखते कि संत को गाड़ी चलाना आता है या नहीं, कम्प्यूटर चलाना आता है या नहीं, संत को प्रबंधन चलाना आता है या नहीं। संत हैं तो संतत्व होना चाहिए।समाज संत में यह देखता है कि उसमें श्रेष्ठता है या नहीं, संयम है या नहीं। संत में दूसरों की भलाई करने की भावना है या नहीं। लोग संत में सभी गुण खोजते हैं। संतों को परखा जाता है। लोग यह नहीं देखते कि संत को गाड़ी चलाना आता है या नहीं, कम्प्यूटर चलाना आता है या नहीं, संत को प्रबंधन चलाना आता है या नहीं। संत हैं तो संतत्व होना चाहिए।