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पीयूष वालिया

लालढांग क्षेत्र मे अवैध खनन चरम पर।

-वन विभाग और वन विकास निगम और पुलिस प्रशासन की मिली भगत से करोड़ो के राजस्व का चुना लगाया।

 हरिद्वार।   थाना श्यामपुर क्षेत्र मे रवासन और कोटावाली नदी मे वन विकास निगम द्वारा कराये जा रहे खनन चुगान मे स्थानीय पुलिस और वन विभाग की मिली भगत से बड़े पैमाने पर अवैध खनन को अंजाम दिया  जा रहा। रोजाना करीब 30 से चालीस लाख रुपये के खनन सामग्री की चोरी कराई जा रही है। एक ही रवान्ने  पर 5-5 चक्कर लगाए जा रहे।

 आलम ये है कि  वन विभाग और वन विकास निगम और पुलिस के तैनात होते हुए भी अवैध खनन वाहन सरपट दौड़ रहे।  

  एक अधिकारिक जानकारी के मुताबिक वन विकास निगम द्वारा पिछले दिनों रोजाना खनन निकासी 1000 वाहन रही जिससे करीब  30 लाख रुपये का प्रतिदिन राजस्व प्राप्त हो रहा था। लेकिन पिछले कुछ समय से  राजस्व गिरकर 20 लाख आ पहुंचा। और रवासन नदी के प्रथम , द्वितीय और कटेवड़ से रोजाना 1500 से ज्यादा वाहन अवैध खनन निकासी कर रहे है। जिससे सीधे तौर पर सरकार को 30 से 40 लाख रुपये का चुना लगाया जा रहा है। यदि रोजाना प्रगति रिपोर्ट (डी पी आर ) और सी सी टीवी फुटेज   को खंगाला गया तो करोड़ो रुपये राजस्व  का घोटाला  सामने आ सकता है। 

जिससे साफ जाहिर है अवैध खनन जोरो पर है।  सरकारी मशीनरी का इस प्रकार अवैध खनन में शामिल होना सरकार की संलिप्तता को दर्शाता है।  और स्पष्ट है इतना बड़ा अवैध खनन का खेल बिना बड़े राजनैतिक हस्तक्षेप के बिना सम्भव नही हैँ। करोड़ो के अवैध खनन चोरी खेल मे धामी सरकार पर इल्जाम लग रहा। इस खेल मे स्थानीय पूर्व कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री के करीब  राजनेता का सीधा संरक्षण प्राप्त है।  जिसके चलते सरकारी मशीनरी नतमस्तक दिख रही है। स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत की तो लोगो का कहना है कि खनन माफियाओ ने गांव की सडके, गलियों, हर तरफ  वाहनो से उडने वाला धूल मिट्टी से लोगो का जीना मुहाल है। अवैध खनन का इतना बड़ा खेल पहले नही देखा। अवैध खनन के इस,खेल मे सरकार मिली हुई है। माफियाओ का दावा कोई कही भी शिकायत कर ले कोई कुछ नही बिगाड़ सकता। जिससे जाहिर है 

 

रवासन नदी के खनन चुगान निकासी गेट पर अवैध खनन का नजारा गेट पर पहुंचते ही देखने को मिलता।  खुलेआम मानको का उलंघन कर  बिना नंबर प्लेट के वाहनो को निर्धारित  मात्रा से अधिक वजन ढोया जा रहा। लगभग 150 कुंतल खनन भरे ट्रैक्टर ट्राली को 100 कुंतल का रवन्ना जारी किया जा रहा। ट्रक  डमफरों को 150  कुंतल के रवान्ने पर  250 से 300 कुंतल   खनन सामग्री दी जा रही।  जिससे साफ जाहिर है कि तौल काँटा कम्पनी के द्वारा घटतौली की जा रही है। यहा तक की एक ही रॉयल्टी  पर दो दो चक्कर  लगाए जा रहे।  अवैध खनन का ये सारा खेल वन विकास निगम के अधिकारियों और वन विभाग की उपस्थिति में अंजाम दिया जा रहा है। अधिकारियों की निरंकुसता से साफ जाहिर है कि बड़े स्तर पर अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है। 

 

 

 

—बीते 5 दिसंबर को  वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक ने औचक निरीक्षण के दौरान   अवैध खनन निकासी और  टोकन लेकर नदी से गायब    17 वाहनो के पंजीकरण निरस्त कर दिये गये।  वही निकासी गेट पर तैनात वन विकास निगम के अधिकारियों कर्मचारियों की संदिग्ध भूमिका की जांच के बाद स्थानांतरण किया। जिसके बाद बड़े पैमाने पर अवैध खनन जारी है।

 

 ये है खेल—

–   बिना पंजीकरण के सैकड़ो वाहन अवैध खनन में लगे।

–  घटतौली मे ट्रैक्टर ट्राली को 100 कुंतल रवान्ने पर 150 कुंतल और डमफरों  को 120- 180  कुंतल रवान्ने पर 300 से 400 कुंतल खनन दिया जा रहा। 

–  एक ही रावन्ने पर 5- 6 चक्कर लगाए जाते है।

–  ट्रैक्टर ट्राली से ओवर वेट के   300 से 500 और   डमफर  से 800 से 1500 वसूल किये जाते है।

– बिना रवन्ना के ट्रैक्टर से 800 तो डमफर वालो से 1500  तक वसूली की जाती है ।

–  वन विभाग, वन विकास निगम और तौल कम्पनी के बीच  बाटा जाता है पैसा। सभी अपने आकाओ तक हिस्सा पहुचाते है।

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