पीयूष वालिया
जगद्गुरू रामानंदाचार्य जयंती के उपलक्ष्य में रामानंदीय वैष्णव मंडल ने निकाली शोभायात्रा
प्रत्येक काल में प्रासंगिक रही हैं जगद्गुरू रामानंदाचार्य की शिक्षाएं-श्रीमहंत रविंद्रपुरी
हरिद्वार, 2 फरवरी। जगद्गूुरू रामानंदाचार्य की 724वीं जयंती के अवसर पर श्री रामानन्दीय वैष्णव मंडल के संयोजन में भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। भूतपवाला स्थित श्री गोकुल धाम आंवले वाले आश्रम से शुरू हुई बैण्ड बाजों व भव्य झांकियों से सुसज्जित शोभायात्रा का शुभारंभ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज, महंत रामचरण दास महाराज ने किया। शोभायात्रा का जगह-जगह संतों व श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। नगर भ्रमण के पश्चात शोभायात्रा श्रवणनाथ नगर स्थित रामानंद आश्रम में संपन्न हुई। महंत विष्णुदास, महंत प्रेमदास, महंत प्रमोद दास, महंत दुर्गादास, महंत राजेंद्र दास व महंत प्रह्लाद दास ने शोभायात्रा में शामिल हुए सभी संतो का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि जगद्गुरू रामानंदाचार्य ने तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर एकता के सूत्र में बाधा और समाज में आध्यात्मिक चेतना का प्रसार किया। जगद्गुरू रामानंदाचार्य की शिक्षाएं प्रत्येक काल में प्रासंगिक रही हैं। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते मानव कल्याण में योगदान करना चाहिए। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ी उदासीन के कोठारी महंत राघवेंद्र दास महाराज व जयेंद्र मुनि ने कहा कि समाज को ज्ञान की प्रेरण देकर धर्म के मार्ग पर अग्रसर करने में जगद्गुरू रामानंदाचार्य का अहम योगदान रहा। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना चाहिए। रामानंदीय वैष्ण मंडल के अध्यक्ष बाबा हठयोगी, महंत विष्णु दास व स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि जगद्गुरू रामानंदाचार्य वैष्णव भक्तिधार के महान संत थे। उन्होंने उत्तर भारत में वैष्णव सम्प्रदाय को पुनर्गठित किया। उन्होंने समाज में व्याप्त छूआछूत, ऊंच नीच और जात पात का विरोध किया और रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया।
शोभायात्रा में श्रीमहंत रविंद्रपुरी, स्वामी हरिवल्ल्भ दास शास्त्री, स्वामी ज्ञानानंद, जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य, महंत राजेंद्रदास, स्वामी ललितांनद गिरी, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी ऋषिश्वरानंद, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गादास, महंत अरूण दास, महंत विष्णुदास, महंत प्रमोद दास, महंत राघवेंद्र दास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत गोविंददास, महंत प्रह्लाद दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी ज्ञानानंद, महंत सूरजदास, महंत नारायण दास पटवारी, महत जयराम दास, महंत प्रेमदास, महंत दिनेश दास, महंत गंगा दास, स्वामी शिवम महाराज, स्वामी शिवानंद, महंत बलवंत दास, स्वामी बिपनानंद, स्वामी नागेंद्र महाराज, महंत हरिदास, महंत ईश्वर दास, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत लंकेश दास सहित बड़ी संख्या में संत शामिल रहे।