हरिद्वार: चुनावों में घटती बढ़ती रही प्रत्याशियों की संख्या

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पीयूष वालिया

हरिद्वार: चुनावों में घटती बढ़ती रही प्रत्याशियों की संख्या
[ कभी तीन तो कभी 23 ने लड़ा चुनाव]

हरिद्वार, 8 अप्रैल।
हरिद्वार लोकसभा सीट पर प्रत्येक चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या घटती बढ़ती रही है। लहरों और मुद्दों पर हुए चुनावों में प्रत्याशियों की संख्या उछाल मारती रही। जबकि सामान्य अवसरों पर हुए चुनावों में प्रत्याशियों ने चुनाव में रुचि नहीं दिखाई।
हरिद्वार के अबतक के चुनावी इतिहास में लोकसभा के 18 चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। इसबार हरिद्वार लोकसभा के मतदाता 19वीं बार लोकसभा चुनाव में मतदान करेंगे। आजादी के बाद से अबतक हुए चुनाव में प्रत्याशियों की सबसे कम संख्या 1957 के दूसरे चुनाव में रही। इस चुनाव में केवल 3 ही प्रत्याशी मैदान में उतरे।
जबकि सर्वाधिक 23 प्रत्याशी 1996 में एक-दूसरे के सामने खम ठोंकने उतर आए।
सहारनपुर हरिद्वार देहरादून की अविभाजित सीट के रूप में यहां 1952 के पहले चुनाव में 6 प्रत्याशियों ने हाथ आजमाया। जबकि 1962-67 के तीसरे चौथे चुनाव में यह संख्या 4 ही रही। 1971 में सीट को हरिद्वार लोकसभा नाम मिलने के बाद चुनाव लड़ने वालों ने भी उत्साह दिखाया और प्रत्याशियों की संख्या 11 पर पहुंच गई। अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद 1977 में केवल छह लोगों ने चुनाव लड़ा। 1980 में यह संख्या 5 ही रह गई। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद माहौल बदला तो 1984 के मध्यावधि चुनाव में 16 उम्मीदवार मैदान में कूद पड़े। 1987 में तत्कालीन सांसद सुंदरलाल की मृत्यु के बाद हुए उपचुनाव में 18 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। 1989 में यह संख्या पांच पर पहुंच गई। 1991 में 8 लोगों ने ही चुनाव लड़ा। 1996 में रामलहर के दौरान हुए चुनाव में लोगों की उमंगें हिलौरें मारने लगी। इस चुनाव में सर्वाधिक 23 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतर आए। 1998 में 9 और 1999 में 12 लोगों ने चुनाव लड़ा।
उत्तराखंड गठन के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में 9 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई। 2009 में 21 प्रत्याशी मैदान में कूद पड़े। 2014 में 15 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया। 2019 के पिछले चुनाव में 21 उम्मीदवारों ने हाथ आजमाए थे।
______________________ •इसबार 14 प्रत्याशी मैदान में•
इस बार लोकसभा चुनाव के लिए भी 21 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए थे। इनमें से एक का नामांकन खारिज हो गया जबकि छह ने अपने नाम वापस ले लिए। जिसके बाद अब बसपा भाजपा कांग्रेस सहित कुल 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। हालांकि मतदाताओं को ईवीएम में नोटा सहित मतदान के लिए 15 विकल्प मिलेंगे।
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