शिव आराधना से होती है मन और अंतःकरण की शुद्धि-स्वामी कैलाशानंद गिरी

0
53

पीयूष वालिया

शिव आराधना से होती है मन और अंतःकरण की शुद्धि-स्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार, 25 जुलाई। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि देवों के देव महादेव भगवान शिव की आराधना से मन की शुद्धि के साथ भक्त के अंतःकरण की भी शुद्धि हो जाती है और आत्मा के परमात्मा से साक्षात्कार का मार्ग प्रशस्त होता है। श्री दक्षिण काली मंदिर में आयोजित विशेष शिव साधना के दौरान श्रद्धालु भक्तों को शिव महिमा का सार समझाते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान शिव आदि अनादि और निराकार हैं और सृष्टि की उत्पत्ति और अंत के कारक हैं। महादेव अपने भक्तों का संरक्षण का उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। जो दीन दुखी भोलनाथ के दरबार में आ जाता है। उसका कल्याण अवश्य ही निश्चित है। उन्होंने कहा कि श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है और उन्हें प्रकृति से बेहद लगाव है। इसलिए शिव आराधना के साथ-साथ प्रकृति के संरक्षण संवर्धन का संकल्प लेना चाहिए और अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। ताकि पर्यावरण शुद्ध हो और आने वाले पीढ़ियों को भी इसका लाभ मिले। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि पूज्य गुरुदेव द्वारा लोककल्याण की भावना से हर वर्ष सावन मास में की जाने वाली शिव आराधना से देश में नई ऊर्जा का संचार होता है और विश्व कल्याण की भावना जागृत होती है। उन्होंने बताया कि गुरूदेव सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक मौन रहकर शिव साधन करते हैं और शाम 8 बजे के बाद भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here