पीयूष वालिया
हरिद्वार रुडकी विकास प्राधिकरण ने जारी किए आदेश
कॉलोनी डेवलेपर्स को साइट पर लगाना होगा एचआरडीए स्वीकृत का बोर्ड
कॉलोनी एचआरडीए से स्वीकृत है या नहीं इसकी जानकारी देनी होगी
हरिद्वार, 13 जनवरी। हरिद्वार रुडकी विकास प्राधिकरण ने जनपद के सभी कॉलोनी डेवलपर्स को निर्देशित किया है कि कॉलोनी और साइटों पर एचआरडीए स्वीकृति का बोर्ड जरुर लगाएं। ताकि उपभोक्ता अवैध कॉलोनियों को आसानी से पहचान सकें। यही नहीं एचआरडीए ने उपभोक्ताओं से अपील करते हुए कहा है कि प्लॉट खरीदने से पहले उस कॉलोनी के नियमानुसार एचआरडीए से स्वीकृत होने या नहीं होने की जांच पड़ताल अवश्य कर लें। प्राधिकरण के वीसी अंशुल सिंह के निर्देशानुसार अवैध कॉलोनियों के खिलाफ आमजन को जागरुक करने के लिए अभियान जारी है। इसी क्रम में एचआरडीए ने प्राधिकरण से नियमानुसार लेआउट स्वीकृत कराने वाले उन सभी कॉलोनी डेवलपर्स और प्रोपर्टी डीलरों को निर्देशित किया है कि वह अपनी साइटों पर एचआरडीए स्वीकृत होने का बोर्ड लगाना अनिवार्य करें। ये बोर्ड साइट पर प्रमुख जगह पर लगा होना चाहिए ताकि उपभोक्ता इसके बारे में आसानी से जागरुक हो सकें और जांच पड़ताल करने में उन्हें कोई असुविधा ना हो। प्राधिकरण के वीसी आईएएस अंशुल सिंह ने बताया कि प्राधिकरण अवैध कॉलोनियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाए हुए है और लगातार अवैध कॉलोनियां सील की जा रही है। लेकिन ये भी देखने में आया है कि उपभोक्ता जानकारी के अभाव में या किन्हीं अन्य कारणों के चलते अवैध कॉलोनियों में निवेश कर फंस जाते हैं। ऐसे में उपभोक्ताओं को अवैध कॉलोनी का पता आसानी से लग सके, इसके लिए प्राधिकरण ने सभी स्वीकृत कॉलोनी डेवलपर्स को अपनी-अपनी साइटों पर एचआरडीए स्वीकृत का बोर्ड लगाने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण के इंजीनियर ये सुनिश्चित करेंगे कि सभी स्वीकृत साइटों पर इस तरह के बोर्ड लगे हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को इससे काफी लाभ होगा। इसके अलावा उपभोक्ता अवैध कॉलोनी के बारे में प्राधिकरण आकर भी जांच पड़ताल कर सकते हैं। गौरतलब है कि अवैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होता है। अवैध कॉलोनियों में सीवर, बिजली, पानी, नाली और अच्छी चैडी सडकें नहीं होती है। यही नहीं पार्क, मंदिर आदि के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं होती है। इन कॉलोनियों में बने मकानों का नक्शा भी पास नहीं होता है। इसलिए उपभोक्ताओं से अपील है कि ऐसी अवैध कॉलोनियों में निवेश ना करें