नवरात्र साधना सात्विक होना चाहिए ः डॉ. पण्ड्या बड़ी संख्या में उपनयन सहित विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न

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पीयूष वालिया

नवरात्र साधना सात्विक होना चाहिए ः डॉ. पण्ड्या
बड़ी संख्या में उपनयन सहित विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न

देवभूमि इन दिनों साधना के रंग में रंगा हुआ। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में भी देश विदेश से कई हजार साधक पहुंचे हैं और मनोयोगपूर्वक गायत्री के सामूहिक अनुष्ठान में जुटे हैं। नवरात्र साधना के छठवें दिन महाकाल की विशेष स्तुति की गयी और विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न कराये गये।
शांतिकुंज के मुख्य सभागार में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने माता शबरी की योगसाधना में नवधा भक्ति का तीसरा सोपान विषय पर साधकों को संबोधित किया। प्रसिद्ध आध्यात्मिक चिंतक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या जी ने कहा कि नवरात्र साधना सात्विक होना चाहिए। सात्विक साधना से साधक में भगवत् प्राप्ति की भूख जागती है। अंतःकरण पवित्र होता है। साधक का मोह नष्ट होता है। साधना से प्राप्त शक्ति एवं भगवत्कृपा से साधक बड़े से बड़ा कार्य सहजता के साथ सम्पन्न कर लेता है। श्रीरामचरित मानस के विभिन्न दोहों, चौपाइयों के माध्यम से साधक की मनोभूमि को सार्थक बनाने हेतु मार्गदर्शन किया।
युवा उत्प्रेरक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या जी ने कहा कि अभिमानशून्य होकर सद्गुरु के चरणों की सेवा करनी चाहिए। अभिमान की भावना से मुक्त होकर ही भक्ति की जा सकती है और ऐसी भक्ति ही परम कल्याणकारी होती है। साधना काल में भगवान की कथाओं और उनकी गुणगान करने वाली श्रेष्ठ साहित्यों में ही रुचि रखनी चाहिए। इससे साधक की मनोवृत्ति सही रहती है। जिससे वे साधना अपने संकल्प के अनुसार पूरा कर पाते हैं। इस दौरान उन्होंने गुरु शिष्य के गहरा संबंध का विस्तृत उल्लेख किया। महाकाल की रुद्राष्टक का संगीतमय गान ने उपस्थित साधकों को भाव विभोर कर दिया।
इससे पूर्व देसंविवि के संगीत विभाग के समन्वयक डॉ. शिवनारायण प्रसाद, श्री राजकुमार वैष्णव एवं उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत गीत हमने आंगन नहीं बुहारा-कैसे आयेंगे भगवान एवं गुरु वंदना ने उपस्थित नर-नारियों को भक्ति के सागर में डूबकी लगवाई। इस अवसर पर श्री शिवप्रसाद मिश्र, डॉ. ओपी शर्मा, श्याम बिहारी दुबे सहित विभिन्न देशों से आये साधकगण मौजूद रहे।
विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न-
नवरात्र साधना के छठें दिन सामूहिक विवाह, गुरु दीक्षा के साथ उत्तराखण्ड, दिल्ली, उप्र आदि राज्यों से आये बड़ी संख्या में बटुकों का उपनयन संस्कार सम्पन्न हुआ।

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