पीयूष वालिया
गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के आठ सौ से अधिक साधकों ने मंगलवार को युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या के नेतृत्व में गंगा सफाई में जमकर पसीना बहाया। इस दौरान पतित पावनी मां गंगा की गोद से कई टन कूड़ा कचरा निकाला गया, जिसे नगर निगम हरिद्वार व अन्य के सहयोग से निस्तारण के लिए भेजा गया।
मंगलवार प्रातः शांतिकुंज परिवार में उत्सव जैसा माहौल था। सभी के चेहरे में खुशी की लहर दौड़ रही थी, इसका कारण पतित पावनी मां गंगा को स्वच्छ व साफ सुथरा करने का सौभाग्य मिलना था। युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या सहित शांतिकुंज व देवसंस्कृति विवि परिवार के सैकड़ों कार्यकर्त्ता मानव शृंखला बनाकर गंगा की गोद में उतरें और जहां-तहां बिखरे कूड़ा कचरा को चुन-चुनकर बाहर निकाला। इस दौरान कई टन कचरा एकत्रित हुआ, जिसे निस्तारण के लिए नगर निगम हरिद्वार व अन्य के वाहनों से भेजा गया।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी के मार्गदर्शन में शांतिकुंज के कार्यकर्त्ताओं ने हरिद्वार के हृदय स्थल माने जाने वाले हरकी पौड़ी के निकट से लेकर हाथीपुल व ललतारौ पुल तक के क्षेत्र को 9 सेक्टर में बांटकर सफाई अभियान चलाया। प्रत्येक सेक्टर में ८० से लेकर १०० स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं की टीम थी। इस दौरान 7 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्षीय युवाओं ने पूरे जोश एवं उत्साह के साथ सेवा कार्य किया। कइयों के पैरों में चोटें आई, फिर भी वे पूरी तन्मयता के साथ सफाई करते रहे। युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने बताया कि पतित पावनी गंगा को निर्मल व स्वच्छ बनाने के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय परिवार विगत दो दशकों से कार्य कर रहा है।
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देसंविवि फार्मेसी व शांतिकुंज में उत्साहपूर्वक मनाई भगवान धन्वंतरी जयंती
हरिद्वार 29 अक्टूबर।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय स्थित फार्मेसी एवं शांतिकुंज के मुख्य सभागार में आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि की जयंती आयुर्वेद के विकास में जुट जाने के आवाहन के साथ मनाई गई। फार्मेसी में हवन के साथ भगवान धन्वन्तरि की विशेष पूजा-अर्चना की गयी।
अपने संदेश में गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भगवान धन्वंतरि देवताओं के चिकित्सक रहे हैं। उन्हें भगवान विष्णु के अवतार के रूप में पूजा जाता है। भगवान धन्वंतरि ने आयुर्वेद की उत्पत्ति की। युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि परमात्मा ने सर्वश्रेष्ठ मनुष्य काया दी है, तो उसे प्राकृतिक रूप से स्वस्थ रखकर जीवन के प्रमुख उद्देश्य की दिशा में निरंतर गतिशील रहना चाहिए।
शांतिकुंंज में आयोजित सभा में व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी, डॉ मंजू चोपदार, डॉ. वन्दना श्रीवास्तव, डॉ. शिवानंद साहू, डॉ ज्ञानेश्वर मिश्र, डॉ. अलका मिश्रा, डॉ. एके पाण्डेय, डॉ निधि पटेल, डॉ मृदुलिका, डॉ एस के विश्नोई आदि ने भगवान धन्वन्तरि से जुड़े विभिन्न पौराणिक कथानकों का जिक्र करते हुए प्रकृति के अनुसार जीवन जीने की सलाह दी।