रुड़की शहर की सियासत पूरी तरह चुनावी मोड़ पर, नगर निगम के चुनाव की संभावना के चलते सक्रिय हुए सभी मेयर और पार्षद के दावेदार, 10 जून को हाई कोर्ट में होनी है सुनवा

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इरफान अहमद

रुड़की शहर की सियासत पूरी तरह चुनावी मोड पर आ गई है। जिसके चलते मेयर और पार्षद के सभी दावेदार अचानक सक्रिय हो गए हैं। सब जनता का ध्यान अपनी अपनी ओर आकर्षित कराने में लगे हैं। कोई गर्मी में शरबत पिलाकर तो कोई धार्मिक कार्यक्रमों में शिरकत कर आमजन का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। राजनीतिक जानकार भी कह रहे हैं कि अब चुनाव जरूर होंगे। भाई ने ही अन्य नगर निकाय से कुछ दिन बाद हो जाए पर अब चुनाव को लंबे समय तक नहीं टाला जा सकता। दरअसल,रुड़की नगर निगम के चुनाव को लेकर हाल में ही हाई कोर्ट में आधा दर्जन तारीख लग चुकी है। जिसमें अब 10 जून की तारीख मुकर्रर हुई है। उस दिन रुड़की नगर निगम से संबंधित सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई होगी। यानी कि सरकार द्वारा जो एक्ट में संशोधन कर रामपुर और पाड़ली गांव को बाहर किया गया था और उस पर जो सिंगल बेंच के द्वारा स्टे किया गया था वह भी 10 जून की सुनवाई में है। निकाय के जानकारों का कहना है कि यदि कोर्ट ने एक्ट संशोधन को सही मानते भी चुनाव कराए जाने के आदेश जारी कर दिए तो इसके बाद सरकार के पास ऐसा कोई तर्क या आधार नहीं बचेगा जिससे कि चुनाव को लंबे समय तक लंबित रखा जा सके। हां यदि कोर्ट ने सरकार के एक्ट संशोधन को निरस्त कर चुनाव कराने के आदेश कर दिए तो इसमें सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए मजबूत आधार बन जाएगा। तब चुनाव थोड़ा आगे बढ़ सकते हैं। लेकिन फ़िर भी ऐसा नहीं कि चुनाव साल भर के लिए टल जाएंगे। क्योंकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बने डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भी उत्तराखंड में शेष रहे निकाय चुनाव जल्द कराए जाने के पक्ष में है। मौला तो यही जा रहा है कि यदि एक्ट संशोधन को कोर्ट स्वीकार कर लेता है तो शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक भी चुनाव को लंबित रही रखना चाहेंगे। समझा जा रहा है कि मेयर और पार्षद के दावेदार भी इस बारीकी को अच्छी तरह समझ रहे हैं और उनकी सक्रियता अचानक बढ़ गई है । भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी के अलावा कई नेता निर्दलीय चुनाव की तैयारी में भी है। जिनकी भागदौड़ तेज हो गई है। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी में मेयर पद के एक दर्जन दावेदार है तो कांग्रेस में भी मेयर पद के दावेदारों की संख्या लगभग इतनी ही है बहुजन समाज पार्टी में मेयर पद के दावेदारों की संख्या भाजपा और कांग्रेस के मुकाबले काफी कम है

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