रुड़की में ईद-उल-अजहा का त्योहार अकीदत और शांति के साथ मनाया गया,मांगी अमन-शांति की दुआएं

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प्रभारी इरफ़ान

 

 

रुड़की।ईद-उल-अजहा का त्योहार नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी अकीदत और श्रद्धा के साथ मनाया गया।नमाजे-ईद नगर की ऐतिहासिक प्राचीन ईदगाह में प्रात: साढ़े दस बजे शांतिपूर्ण तरीके से अदा की गई तथा देश में अमन-शांति और भाईचारे के लिए दुआ कराई गई।मौसम खराब होने की वजह से तथा नमाज में कुछ विलंब होने की वजह से नमाजी बारिश में भीग गए।मदरसा अरबिया रहमानिया के मौलाना अजहरूल हक ने ईद-उल-अजहा की विशेषताओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि कुर्बानी का त्योहार हमें यह सिखाता है कि हम अपने देश व अपने समाज के लिए तथा अपने धर्म व अपने खानदान के लिए कुर्बानी करें,जो हमारे दीन ने हमें सिखाई है।हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की कुर्बानी इसी बात का प्रतीक है कि सिर्फ कुर्बानी किसी जानवर की कुर्बानी का नाम नहीं है,बल्कि हर क्षेत्र में हमें अपना बलिदान अपनी कुर्बानी देनी चाहिए,जो देश व समाज हित के लिए हो।नगर को साफ सुथरा बनाने में प्रशासन और नगर निगम का सहयोग करें।उन्होंने कहा कि जो प्रतिबंधित जानवर है उनकी कुर्बानी बिल्कुल ना करें।उन्होंने कहा कि अपने वतन हिंदुस्तान की सुरक्षा और देश में भाईचारे के लिए अपना योगदान देना चाहिए,विशेष रूप से उन्होंने नई नस्ल के युवाओं को मोबाइल के दुष्परिणाम और उस प्रयोग से सचेत रहने,नशे से बचने तथा समाज में अंतर जातीय धार्मिक विवाह अपनी मर्जी से करने के बजाय अपने माता-पिता के आदेशानुसार विवाह करने चाहिए,ताकि देश में अच्छा माहौल बन सके।इस अवसर पर मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने ईद की नमाज पढ़ाई।नमाज के तुरंत बाद ही बारिश हो गई,जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।लोग देर तक ईदगाह के आसपास रुके रहे और वर्षा समाप्त होने के बाद अपने घरों को लौटे,जिससे कुर्बानी में भी देरी देखी गई।ईदगाह में नमाज की विशेषता यह रही कि मौसम की खराबी के बावजूद लगभग पन्द्रह से बीस हजार लोगों ने ईदगाह में नमाज अदा की और एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद पेश की।मुफ्ती मोहम्मद सलीम ने अमन-चैन और भाईचारे की दुआ कराई तथा प्रशासन का आभार व्यक्त किया। कारी एहतेशाम कासमी ने कुर्बानी ने कुर्बानी की रस्म अदा कराई,वहीं दूसरी ओर नगर की प्रमुख जामा मस्जिद में प्रातः छः बजे ईद की नमाज मदरसा दारुल सलाम के मोहतमीम कारी शमीम अहमद ने अदा कराई।नमाज से पूर्व मौलाना अरशद कासमी ने अपने खुतबे में कहा कि ईद उल अजहा का त्यौहार हमें त्याग और बलिदान का संदेश देता है।इस त्योहार पर हम अपने अंदर छिपी तमाम बुराइयों का त्याग कर इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार अपनी जिंदगी बिताएं।उन्होंने कहा कि वर्तमान में मुस्लिम युवा पीढ़ी में चरित्र निर्माण की जो कमी आ रही है,उसके लिए हम सबको मिलकर कार्य करना है,जिससे कि समाज और देश में भाईचारा-प्रेम तथा अपने वरिष्ठ जनों के सम्मान की सोच को बल मिल सके। इस अवसर पर इंजीनियर मुजीब मलिक,कारी कलीम अहमद,अफजल मंगलौरी,हाजी नौशाद अली,शेख अहमद जमा,मोहम्मद कौसर सिद्दीकी एडवोकेट,हाजी मोहम्मद सलीम खान,जावेद अख्तर एडवोकेट,डॉ.मोहम्मद, इरफ़ान अहमद,डॉ. शादाब,नौशाद गुलाबनगर,मतीन,अलीम सिद्दीकी,सलमान फरीदी,कुंवर जावेद इकबाल,मोहम्मद अखलाक,आरिफ नियाजी,सैयद नफीस उल हसन,रियाज कुरैशी,इसरार मिर्जा,इमरान देशभक्त,नसीम मलिक,हाजी लुकमान कुरैशी,मास्टर शमसुद्दीन,जहांगीर अहमद,मेहरबान अली,डॉक्टर मोहम्मद मुस्लिम,प्रोफेसर अताउल्लाह अंसारी,जान मोहम्मद आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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