आदमखोर गुलदार का हुआ अंत

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आदमखोर गुलदार का अंत हुआ। माननीय विधायक रानीपुर श्री आदेश चौहान जी के प्रयास से और वन विभाग द्वारा चलाए गये combing ऑपरेशन (केंद्रीय विद्यालय भेल के सामने जंगल में ) में शिकारियों द्वारा नर भक्षी (आदमखोर )बने गुलदार को मार गिराया गया जिससे भेल क्षेत्र के सभी जनमानस को राहत मिली

देरी का कारण पूरा विस्तार से

देरी का कारण यह था वन विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा था की किसी जानवर को सीधे ना मारकर उसको जाल लगाकर पिंजरे में लिया जाए जिससे की उसको नियंत्रण में लेकर जंगलो में छोड़ा जाए लेकिन यह भी प्रयास असफल हुआ क्योंकि गुलदार पिंजरे के पास तो आता था लेकिन उसको समझ आ गया था की वह इसमें फँस सकता है उसके पास घूमकर चला जाता था वन विभाग ने traculizer से उसे बेहोश करने का प्रयास किया लेकिन उसमें भी सफलता नही मिल पाना भय को ओर बढ़ा रहा था उसके बाद जब वह लगातार मानव का शिकार करने लगा जानवरो को निवाला बनाने लगा तो उसमें रानीपुर विधायक श्री आदेश चौहान जी भी बहुत ज़्यादा सक्रिय थे

माननीय मुख्यमंत्री जी के पास यह मामला उठाया गया ,वन विभाग भी अपनी तरफ़ से गुलदार को मारने की अनुमति माँग रहा था ,जिसके बाद मुख्य जीव संरक्षक से गुलदार को मारने की अनुमति वन विभाग को मिली जिसके बाद शिकारी भी पहुचने शुरू हुए सारी तेयारी पूरी होने के बाद गुलदार को केंद्रीय विद्यालय के पास western गेट भेल के पास शिकारियों द्वारा घेर लिया गया जैसे ही शिकारी द्वारा निशाना लगाया गया तो एक कार के सायरन की वजह से गुलदार सचेत हो गया ओर आँखो से औझल हो गया लेकिन गुलदार को वन विभाग ओर शिकारियों द्वारा घेरा जा चुका था पेरो के निशान से शिकारी अंतिम जगह पर पहुँचकर घात लगाकर बेठे हुए गुलदार को ढेर कर दिया गया ओर भेल को सबसे बड़े भय से मुक्ति मिली

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