पीयूष वालिया
गुरु की भक्ति और शक्ति मुक्ति का आधार: संत बालकदास
***पूर्वांचल महासभा के अध्यक्ष वीके त्रिपाठी ने सपत्नीक ली संत बालकदास महाराज से दीक्षा
हरिद्वार। श्री ध्रुव चैरिटेबल ट्रस्ट हॉस्पिटल के संस्थापक संत बालकदास महाराज ने कहा कि संसार रूपी भवसागर को पार करने के लिए जीवन रूपी नैया में गुरु पतवार जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर नाव का डूबना निश्चित है। उन्होंने कहा कि गुरु की भक्ति, शक्ति ही मुक्ति का आधार है। इसीलिए मन -कर्म और वचन से गुरु के प्रति समर्पित होकर गुरु की आराधना करनी चाहिए। गुरु का ज्ञान, दिव्य ज्ञान है। इसके अभाव में समस्त ज्ञान बेकार है।
गौरतलब है कि पूर्वांचल महासभा के अध्यक्ष विनोद कुमार त्रिपाठी ने बुधवार को अपनी धर्मपत्नी सरला त्रिपाठी के साथ संत बालकदास महाराज से गुरु दीक्षा प्राप्त की। उन्होंने प्रात: काल पूर्ण विधि विधान से गुरु पूजा की। फल मिठाई , वस्त्र एवं दक्षिणा देकर गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया। संत बालकदास महाराज ने कान में दीक्षा मंत्र पढ़कर अपना शिष्य बनाया। इस मौके पर वीके त्रिपाठी ने कहा वे लंबे समय से योग गुरु की तलाश में थे, संत बालक दास महाराज के रूप में उन्हें योग्य गुरु मिला है और उन्होंने सपत्नीक महाराज जी से दीक्षा ग्रहण की है। भविष्य में गुरु के बताए मार्ग पर चलने का अनुसरण करेंगे। वीके त्रिपाठी ने कहा कि गुरु का ज्ञान और शिक्षा ही जीवन का आधार है। गुरु के बिना जीवन की कल्पना भी अधूरी है। सनातन अवधारणा के अनुसार इस संसार में मनुष्य को जन्म भले ही माता-पिता देते हैं लेकिन मनुष्य का सही अर्थ गुरु कृपा से ही प्राप्त होता है। गुरु जगत व्यवहार के साथ साथ भव तारक, पथ प्रदर्शक भी होते हैं। सरला त्रिपाठी ने कहा कि गुरु की महिमा का वर्णन करना तो सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। गुरु का ज्ञान और शिक्षा ही जीवन का आधार है। गुरु के बिना जीवन की कल्पना भी अधूरी है। सनातन अवधारणा के अनुसार इस संसार में मनुष्य को जन्म भले ही माता-पिता देते हैं लेकिन मनुष्य का सही अर्थ गुरु कृपा से ही प्राप्त होता है। गुरु जगत व्यवहार के साथ साथ भव तारक, पथ प्रदर्शक भी होते हैं। जिस प्रकार माता-पिता शरीर का सृजन करते हैं उसी तरह से गुरु अपने शिष्य का सृजन करते हैं। इस मौके पर प्रबल त्रिपाठी (पुत्र), पल्लवी पांडेय(पुत्री), मंजरी त्रिपाठी (पुत्री), आरू पांडेय(नातिन), विकास कुमार झा सहित अन्य लोग मौजूद रहें।