शांतिकुंज में इदं न मम के भाव से हुई नवरात्र साधना की पूर्णाहुति

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पीयूष वालिया

शांतिकुंज में इदं न मम के भाव से हुई नवरात्र साधना की पूर्णाहुति

नवरात्र साधना के अंतिम दिन गायत्री तीर्थ शांतिकुंज व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में साधकों ने इदं न मम के भाव से अपने अपने अनुष्ठान की पूर्णाहुति कीं। इस अवसर पर शांतिकुंज परिसर में बहिनों ने 51 कुण्डीय तथा देसंविवि परिसर में छात्रों ने 9 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्न कराया।
वहीं आखिरी दिन अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने आस्था संकट के दौर में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए नवरात्र साधना को महत्त्वपूर्ण बताया। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि प्रभु श्रीराम ने एकता, समता एवं शुचिता की मर्यादा का जो पाठ पढ़ाया है, उसका सभी को अनुपालन करना चाहिए।
इसके साथ ही 9 अप्रैल से प्रारंभ हुए श्रीरामचरित मानस में माता शबरी की योगसाधना के नौ सोपान पर आधारित विशेष व्याख्यानमाला का समापन तथा नवरात्र साधना की पूर्णाहुति हो गयी। इस अवसर पर अनेक साधकों ने इस चैत्र नवरात्रि को अपने जीवन का सबसे अमूल्य क्षण बताते हुए श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या जी से मिले एवं प्राप्त मार्गदर्शन को जीवनभर अपनाने की बात कही।
विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न – श्रीरामनवमी के पावन अवसर पर पुंसवन, नामकरण, मुण्डन, जनेऊ, गुरुदीक्षा आदि संस्कार सैकड़ों की संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये गये। तो वहीं नवदंपतियों ने पवित्र अग्नि की साक्षी में एक दूसरे का हाथ थामकर वैवाहिक जीवन के सूत्र में बँधे।

शांतिकुंज में अखंड रामायण पाठ का आयोजन

प्रभु श्रीराम के अवतरण दिवस के मौके पर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में चौबीस घंटे का अखंड रामायण पाठ का शुभारंभ हुआ। इस दौरान अनवरत रामायणजी की चौपाइयाँ मधुर स्वरों में संगीतबद्ध हो गूंजती रही। रामायण पाठ में शांतिकुंज कार्यकर्त्ता भाई बहिनों के अलावा विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों में आये प्रशिक्षणार्थी भाई-बहिन शामिल हुए। इस दौरान राम भक्ति के भाव लोगों के चेहरे में स्पष्ट रूप से झलक रही थी।
आयोजन के समन्वयक श्री श्यामबिहारी दुबे ने बताया कि जहां भी रामायण का पाठ होता है वहां हनुमानजी अदृश्य रूप में उपस्थित होते हैं। रामायण में भगवान श्रीराम का गुणगान और वृतांत कहा गया है। जिस घर में रामायण को सम्मान के साथ रखा, पूजा और गायन किया जाता है, वहाँ किसी प्रकार का कोई अभाव नहीं रहता है।

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