उच्च न्यालय के आदेश की दरगाह प्रशासन कर रहा लगातार अवमानना

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कलियर रिपोर्ट अनवर राणा
सहसंपादक अमित मंगोलिया

गर्मी में पीने के पानी,शौचालय व दरगाह के चारो तरफ साफ सफाई के उचित प्रबंध न होने से जायरीन परेशान,दरगाह प्रशासन मस

विश्व प्रशिद्ध दरगाह साबिर पाक की जिम्मेदारी संभालने वाले जिला प्रशासन द्वारा सन्न 2012 से अब तक यहां पर जायरीनों की बढ़ती तादाद के चलते पीने के पानी,स्वच्छ शौचालय व दरगाह के चारो तरफ बढ़ती जा रही गन्दगी को दूर करने के कोई प्रयास न करने से जायरीन परेशानी उठा रहे है ओर दरगाह प्रशासन के उदासीन रवैये से दरगाह कर्मी ए सी में बैठकर तमाशबीन बने हुवे है वही बच्चे बड़े पीने के पानी के लिये तड़फ कर अपने घर जाने पर मजबूर हो रहे है।ऐसा भी नही की यहां पर आने वाले जायरीन दरगाह को दान के रूप में कुछ ना देते हो बल्कि जायरीनों द्वारा लंगर व दानपत्रों में डाली जाने वाली रकम भी करोड़ो में प्रतिवर्ष होती है।लेकिन दरगाह प्रशासन द्वारा जायरीनों की सुख सुविधाओं की तरफ कोई ध्यान नही दिया जाता ।पहली बात तो यहां पर जायरीनों की सुविधा के लिये कोई काम ही नही किया जाता यदि किया भी जाता है तो उसमें भारी कमीशन खोरी के चलते काम ही बड़ी रकम दरगाह की आय से खर्च करने के बावजूद अधूरा रह जाता है।इसमें चाहे दरगाह के तालाब का शोन्दर्यकर्ण हो या फिर लगभग सात साल पहले जायरीनों को पीने के पानी की व्यवस्था के लिये बनाई गई ओवरहेड टैंक व पम्प का मामला ही क्यों न हो।प्रतिवर्ष हालात पाइन के पानी,शौचालयों की कमी,दरगाह के चारो तरफ बढ़ती गन्दगी का आलम बद से बदतर होते जा रहे है जिसको सुधारने में दरगाह प्रबंधतंत्र नाकाम ही नही विफल साबित हो रहा है।हालांकि एक जनहित याचिका में माननीय उच्च न्यालय द्वारा सितम्बर 2017 में आदेश दिया गया था कि दरगाह प्रशासन 100 टँकी लगाकर पूरे क्षेत्र में तुरन्त पीने के पानी की व्यवस्था सुचारू करे ओर कम से कम 100 स्वछ शौचालयों का निर्माण व दरगाह के चारो तरफ लगे कूड़े के ढेरों का उचित प्रबंध छह माह के अंदर करना सुनिश्चित करे।लेकिन दरगाह प्रशासन के सामने उच्च न्यालय नैनीताल के आदेश भी कोई मायने नही रखते दिन प्रतिदिन हालात बद से बदतर हो रहे है और दरगाह प्रशासन व दरगाह कर्मी दरगाह की आय को खुर्दबुर्द करने में दिनरात लगे है।हैरत तो इस बात की है कि अधिकारी शिकायत पर भी सम्बन्धित कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही करते जिससे कर्मचारी भी जायरीनों की परेशानी देखने की बजाय अपनी मस्ती में मस्त दिखाई दे रहे है।

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