जिला व मेला प्रशासन ने की सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना

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ऋषभ चौहान

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार वेद प्रकाश ने केन्द्रीय सचिव, मुख्य सचिव सहित रजिस्ट्रार जनरल हाईकोर्ट नैनीताल उत्तराखंड को पत्र भेजकर जिला व मेला प्रशासन के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की अवमानना को लेकर कार्यवाही करने की मांग की है।
पत्र में आरोप लगाया गया है कि आज मंगलवार को कुम्भ मेला 2021 की आड़ में जबरन तरीके से सिर्फ शिवमूर्ति से लेकर होटल आरती के सामने के खोखाधारकों को बार-बार अतिक्रमण का केंद्र बिन्दु बनाते हुए मेले में तैनात स्थानीय पुलिस व मेला प्रशासन द्वारा उच्चतम न्यायालय के आदेशों की जमकर खुलेआम अनदेखी करके वर्षाें से नगर निगम की सीमा में बैठे गरीब लघु व्यापारियों के खोखों को तहस-नहस कर दिया गया। पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए रेलवे रोड़ चित्रा टाकिज के सामने परिवार का भरण पोषण कर रहे खोखाधारकों को बलपूर्वक जिला व मेला प्रशासन ने मिलकर हटाते हुए मौजूद पुलिस ने महिलाओं से भी बदसलूकी की है।
गौरतलब है कि वर्ष 2010 में महाकुंभ मेला सकुशल संपन्न होने के बाद चित्रा टाकिज के सामने खोखा धारकों को उजाड़ दिया गया था, जिसके बाद खोखा धारकों ने सुर्पीम कोर्ट में पुनः उसी स्थान पर बैठाए जाने या फिर कोई अन्य वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम को खोखा धारकों को जल्द वैकल्पिक व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए थे और साथ ही यह भी आदेश जारी किए थे कि जब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक इन खोखा धारकों को उसी स्थान पर बैठे रहने दें, लेकिन 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी खोखा धारक नाले पर ही अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करने को विवश हैं। वहीं, आज जिस प्रकार जबरन सिटी मैजिस्ट्रेट जगदीश लाल, एसडीएम गोपाल सिंह चौहान, तहसीलदार आशीष घिल्डियाल ने नगर कोतवाली पुलिस, मायापुर चौकी पुलिस के साथ बलपूर्वक खोखा धारकों को हटाया है, उसकी शहर भर में निंदा की जा रही है। लोगों का कहना है कि पुलिस व मेला प्रशासन हमेशा से ही इन गरीब तबके के लोगों पर ही हंटर चलाकर अतिक्रमण के नाम पर उत्पीड़न व शोषण करती चली आ रही है, जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है।
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हरिद्वार रेलवे रोड़ के सामने खोखा धारक शहर के एसडीएम, सिटी मैजिस्ट्रेट व तहसीलदार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दिखाते हुए।

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