पीयूष वालिया अर्चना धींगरा
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय मैं आप सभी सनातनियों को यह जानकारी देना चाहता हूं कि इस कलिकाल में सतयुग जैसी पूजा, इस कलिकाल में सतयुग जैसी साधना, इस कलिकाल में सतयुग जैसे कठोर साधना करने वाले ऋषियों जैसी परम्पराओं को अपनाने वाले बहुत अल्प समय से बहुत कम उम्र से *परमपूज्य गुरुदेव निरंजन पीठाधीश्वर श्री श्री १००८ आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज* लगभग 32 वर्षों से भगवान शिव की सेवा श्रावण मास पर्यन्त कर रहे हैं यह तो आपको विदित है। इस वर्ष 33वाँ वर्ष है पूज्य श्री का और पूज्य श्री भगवान शिव और मां काली के परम उपासक हैं। उपासना तो बहुत सारे लोग समय समय पर काल परिस्थिति को ध्यान में रख करके त्योहारों में करते ही हैं लेकिन पूज्य श्री का जो अनुष्ठान है, इनकी जो उपासना है ये अत्यन्त कठोर है क्योंकि पूज्य श्री भगवान शिव और मां काली परम भक्त हैं। मां गंगा के, गणेश जी के, हनुमान जी, राम जी के, भगवान श्री कृष्ण के सभी देवताओं के प्रति उनकी अपार श्रद्धा और स्नेह रहती है लेकिन पूज्य श्री मां काली और भगवान शिव के अनन्य उपासक हैं। पूज्य श्री प्रातःकाल 8:00 बजने में कुछ मिनट बाकी रहता है और पूज्य श्री महादेव के पास आ करके बैठ जाते 7:30 पर प्रातःकाल माई के पास आते हैं माई के पास 20 मिनट रह करके माई का पूजन करके फिर वो कामराज गुरु जी का दर्शन करके, उनका पूजन करके भैरव जी का संक्षिप्त पूजन करके महादेव के पास आकर के 8:00 बजे से पहले बैठ जाते हैं। पूज्य श्री एक आसन से बैठते हैं आसन बदलते नहीं बड़ा ही आश्चर्य की बात है। ना एक महीने कुछ खाते हैं, ना एक महीने कुछ बोलते हैं, ना एक महीने कुछ पहनते हैं, ना एक महीने कहीं जाते हैं, ना एक महीने किसी से मिलते हैं